संस्कृति की दुहाई देकर आती है साम्प्रदायिकता
संस्कृति की दुहाई देकर आती है साम्प्रदायिकता विजेंद्र मेहरा नेता जी सुभाष चन्द्र बोस करोड़ों भारतीयों के प्रेरणा स्त्रोत हैं। सिर्फ इसलिए नहीं कि उन्होंने आज़ादी के आंदोलन में सर्वस्व समर्पण कर दिया बल्कि इसलिए भी कि उन्होंने अपनी आंखों में आज़ाद भारत का वह ताना बाना बुना जो एकता, अखंडता व भाईचारे की बुनियाद पर खड़ा था। आज उनकी 128वीं जयंती है। उड़ीसा के क्योंझार इलाके में गरीब आदिवासियों की मदद करने वाले व कुष्ठ रोगियों के लिए मयूरभंज कुष्ठ रोग कल्याण केंद्र चलाने वाले ईसाई मिशनरी ग्राहम स्टुअर्ट स्टेन्स व उनके छोटे - छोटे दो बेटों को दारा सिंह के नेतृत्व में बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने जिंदा जलाकर आज ही के दिन सन 1999 में उनकी साम्प्रदायिक हत्या कर दी थी। पिछले कल ही अयोध्या में राम मंदिर का सरकारी तौर पर राजकीय उद्घाटन हुआ है व देशभर में इस उपलक्ष्य पर सार्वजनिक अवकाश किया गया, यह जानते हुए भी कि भारत का संविधान राजकीय मामलों में धर्म की घुसपैठ व संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा किसी धर्म विशेष के प्रचार - प्रसार की इजाज़त नहीं देता है तथा यह संविधान व लोकतंत्र विरोधी है। ...